इंटरनेट की कीमत होगी कम, जहां नेटवर्क नहीं आते वहां चलेगी ये नई तकनीक, खर्चा हो जाएगा जीरो

एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स ने एक बड़ी कामयाबी हासिल की है. कंपनी ने अपने स्टारलिंक प्रोजेक्ट के तहत डायरेक्ट-टू-सेल तकनीक वाले सैटेलाइट्स का पहला कॉन्स्टेलेशन पूरा कर लिया है. इस तकनीक से मोबाइल फोन सीधे सैटेलाइट से जुड़ सकेंगे और दूरदराज के इलाकों में भी इंटरनेट की सुविधा मिलेगी. आइए जानते हैं इस नई तकनीक के बारे में विस्तार से…

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डायरेक्ट-टू-सेल तकनीक क्या है

डायरेक्ट-टू-सेल तकनीक से मोबाइल फोन सीधे सैटेलाइट से जुड़ सकेंगे. इसके लिए किसी खास हार्डवेयर या सॉफ्टवेयर की जरूरत नहीं होगी. आम मोबाइल फोन इस तकनीक से काम कर सकेंगे. इससे दूरदराज के इलाकों में भी इंटरनेट और कॉल की सुविधा मिलेगी, जहां अभी मोबाइल टावर नहीं पहुंचे हैं.

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स्टारलिंक का पहला कॉन्स्टेलेशन पूरा

स्पेसएक्स ने हाल ही में 20 स्टारलिंक सैटेलाइट्स लॉन्च किए, जिनमें से 13 में डायरेक्ट-टू-सेल तकनीक है. इन सैटेलाइट्स को कैलिफोर्निया के वैंडेनबर्ग स्पेस फोर्स बेस से लॉन्च किया गया. एलन मस्क ने बताया कि फिलहाल हर बीम की बैंडविड्थ 10 Mbps है, लेकिन भविष्य में यह और बढ़ेगी.

सेवा कब शुरू होगी

स्टारलिंक की डायरेक्ट-टू-सेल सेवा 2024 में टेक्स्ट मैसेजिंग के साथ शुरू होगी. 2025 में वॉइस कॉलिंग, डेटा और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) सेवाएं भी शुरू होंगी. इस तकनीक से लाखों डिवाइसेस को एक साथ कनेक्ट किया जा सकेगा.

दुनिया भर में साझेदारी

स्टारलिंक ने दुनिया भर की कई टेलीकॉम कंपनियों से साझेदारी की है. इनमें टी-मोबाइल (अमेरिका), ऑप्टस (ऑस्ट्रेलिया), रोजर्स (कनाडा), वन एनजेड (न्यूजीलैंड), केडीडीआई (जापान), साल्ट (स्विट्जरलैंड), एनटेल (चिली) और एनटेल (पेरू) शामिल हैं.

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