New Railway Project: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने भारतीय रेलवे के लिए तीन प्रमुख मल्टी-ट्रैकिंग परियोजनाओं को मंजूरी दी है. इन परियोजनाओं की कुल लागत लगभग 7,927 करोड़ रुपये है. यह पहल रेलवे कनेक्टिविटी को बढ़ाने, भीड़-भाड़ को कम करने और आर्थिक विकास में योगदान देने के उद्देश्य से की गई है.
New Railway Project: परियोजनाओं का विवरण
इन परियोजनाओं में शामिल हैं:
- जलगांव-मनमाड चौथी लाइन (160 किमी)
- भुसावल-खंडवा तीसरी और चौथी लाइन (131 किमी)
- प्रयागराज (इरादतगंज)-मनिकपुर तीसरी लाइन (84 किमी)
इन सभी ट्रैकों की कुल लंबाई 639 किमी है. ये ट्रैक पीएम-गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान का हिस्सा हैं, जिसका उद्देश्य मल्टी-मोडल कनेक्टिविटी को एकीकृत करना और लोगों और सामानों की निर्बाध आवाजाही सुनिश्चित करना है.
परियोजनाओं का प्रभाव
इन परियोजनाओं का असर महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, और उत्तर प्रदेश के सात जिलों पर पड़ेगा. यह लगभग 1,319 गांवों को प्रभावित करेगा और लगभग 38 लाख लोगों को लाभ पहुंचाएगा. विशेष रूप से, यह बेहतर कनेक्टिविटी दो आकांक्षी जिलों, खंडवा और चित्रकूट, को भी सेवा प्रदान करेगी. इसके अलावा, यह मुंबई-प्रयागराज-वाराणसी मार्ग को बेहतर बनाएगा, जो एक महत्वपूर्ण रेल कॉरिडोर है.
धार्मिक स्थलों तक पहुंच
बढ़ी हुई रेल संरचना अधिक यात्री ट्रेनों को समायोजित करने में सक्षम होगी, जिससे तीर्थयात्रियों के लिए धार्मिक स्थलों तक पहुंच आसान हो जाएगी. जैसे कि त्र्यम्बकेश्वर (नासिक), ओंकारेश्वर (खंडवा), काशी विश्वनाथ (वाराणसी), और अन्य स्थानों पर जाने में आसानी होगी. पर्यटकों को भी अजंता और एलोरा की गुफाओं तथा खजुराहो जैसे धरोहर स्थलों तक बेहतर पहुंच मिलेगी.
माल परिवहन क्षमता में वृद्धि
इन परियोजनाओं के माध्यम से सालाना लगभग 51 मिलियन टन माल परिवहन क्षमता बढ़ने की उम्मीद है. इससे कृषि उत्पादों, कोयला, स्टील और सीमेंट जैसे सामानों का परिवहन सुगम होगा. यह लॉजिस्टिक्स लागत को कम करने और आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने में सहायक होगा.
पर्यावरणीय लाभ
यह पर्यावरण के अनुकूल रेल संरचना भारत के जलवायु लक्ष्यों में योगदान देगी, जिससे हर साल 271 करोड़ किलोग्राम कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में कमी आएगी. यह मात्रा 11 करोड़ पेड़ लगाने के बराबर है. एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया है कि “ये परियोजनाएँ न केवल आर्थिक विकास का समर्थन करती हैं बल्कि भारत की स्थिरता के प्रति प्रतिबद्धता को भी उजागर करती हैं.”