PM E-Drive Yojana: पीएम ई-ड्राइव योजना भारत सरकार की एक महत्वाकांक्षी पहल है जो देश में इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई है. इस योजना का मुख्य उद्देश्य इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद को प्रोत्साहित करना, चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास करना और एक मजबूत ईवी मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम बनाना है. 1 अक्टूबर 2024 से शुरू हुई यह योजना 31 मार्च 2026 तक चलेगी. आइए जानते हैं इस योजना के मुख्य तथ्य और इसके प्रभाव के बारे में.
PM E-Drive Yojana का बजट और लक्ष्य
PM E-Drive Yojana के लिए सरकार ने 10,900 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया है. इस योजना का लक्ष्य 24.79 लाख इलेक्ट्रिक दोपहिया, 3.16 लाख इलेक्ट्रिक तिपहिया और 14,028 इलेक्ट्रिक बसों को प्रोत्साहित करना है. इसके अलावा, योजना के तहत 88,500 स्थानों पर चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने का भी लक्ष्य है.
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सब्सिडी का प्रावधान
PM E-Drive Yojana के तहत इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद पर सब्सिडी दी जा रही है. इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों के लिए 5,000 रुपये प्रति किलोवाट घंटा की सब्सिडी दी जा रही है. यह सब्सिडी वाहन की एक्स-फैक्ट्री कीमत के 15% तक सीमित है. इसी तरह, अन्य इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए भी सब्सिडी का प्रावधान है.
योजना का प्रभाव
PM E-Drive Yojana के शुरू होने के बाद से इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है. इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों की बिक्री 2024-25 में बढ़कर 5,71,411 यूनिट हो गई है. इसी तरह, इलेक्ट्रिक तिपहिया वाहनों की बिक्री भी बढ़कर 71,501 यूनिट तक पहुंच गई है.
चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास
योजना के तहत चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है. 48,400 फास्ट चार्जर लगाए जाने का प्रस्ताव है. इससे इलेक्ट्रिक वाहन मालिकों को लंबी दूरी की यात्रा करने में आसानी होगी और रेंज की चिंता कम होगी.
योजना की विशेषताएं
- यह योजना सिर्फ उन्नत बैटरी से लैस ईवी पर लागू होती है.
- सरकारी विभागों द्वारा खरीदे गए ईवी इस योजना के तहत पात्र नहीं हैं.
- व्यक्तिगत लाभार्थियों के लिए, किसी विशेष श्रेणी के एक से अधिक ईवी को प्रोत्साहन नहीं दिया जाएगा.
- सभी पात्र ईवी के साथ व्यापक वारंटी दी जाएगी.
योजना का महत्व
पीएम ई-ड्राइव योजना न केवल इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा दे रही है, बल्कि यह पर्यावरण संरक्षण और ऊर्जा सुरक्षा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है. यह योजना भारत के 2070 तक नेट-जीरो उत्सर्जन के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करेगी. साथ ही, यह ईवी क्षेत्र में निवेश को आकर्षित करेगी और रोजगार के नए अवसर पैदा करेगी.